कवि अतुल पाठक " धैर्य " की रचनाएं



 मुस्कुराते रहो

मुस्कुराते रहो गुनगुनाते रहो,

फ़ासले न रखो दिल मिलाते रहो।


प्यार से बढ़कर दुनिया में और कुछ भी नहीं,

मोहब्बतों की पनाहें बसाते रहो।


ज़िन्दगी को हसीन तुम बनाते रहो,

प्रेम का पुष्प मन में खिलाते रहो।


सितारों की तरह झिलमिलाते रहो,

चाँद सा रौशन चेहरा दिखाते रहो।


दर्द कितना भी हो नम ना आँखें करो,

ग़म छुपाते रहो मुस्कुराते रहो।


फ़िज़ाओं में मस्ती सी छा जाते रहो,

खुलती ज़ुल्फ़ों की ख़ुश्बू उड़ाते रहो।


मन के मनके से तुम जगमगाते रहो,

दिल का किस्सा हमें तुम सुनाते रहो।


जब तलक आफ़ताब और माहताब हैं,

ज़िन्दगी की तरह मुस्कुराते रहो।


अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस विशेष

चाय

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चाय की चुस्की में घुला है रफ़्ता-रफ़्ता प्यार,

मुस्कुराते लबों पर सदा बढ़ता रहता ख़ुमार।


एक कुल्हड़ चाय से उतरे सिरदर्द की मार,

हो चाय सा इश्क़ भी हर दिन बन जाए इतवार।


रखो अंदाज़ अपना जैसा होता है दिलदार,

छूटती नहीं तलब इसकी भले ही हो जाए उधार।


सुबह-सुबह जो तुम मेरे लिए गर्मागरम चाय लेकर आती हो,

कसम से तुम मेरा हर दिन ख़ास बनाती हो।


मैं और तुम यानी हम से चाय भी तो प्यार करती है,

तभी तो होंठों से आकर सीधे गले में उतरती है।


तेरा साथ न छोड़ेंगे तू मीठे बोल सी घुलकर मिल जाती है,

कितने रिश्ते नाते जुड़वाती है जब तू टेबल पर नाश्ते में आती है।

अतुल पाठक " धैर्य "

पता-जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)

मौलिक/स्वरचित रचना

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