दीपक शुक्ल 'चिराग'
अपना किरदार शिद्दत से निभा लें हम सब ।
वरना एक दिन कहानी ही रह जाएगी।।
कुछ खामोशियां कुछ शिकायतें।
दूसरों की जुबानी ही रह जाएगी।।
अपनी हम कुछ कहें अपनी तुम कुछ कहो।
एक दुजे को हम सब भी समझें सुने।।
वक्त जालिम है अब तो यहां दोस्तों।
बस सितम की कहानी ही रह जाएगी।।
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दीपक शुक्ल 'चिराग'
संस्थापक
काव्यांजलि "एक अनूठा आरंभ"
विश्व मंच
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