सुश्री इंदु सिंह
हरी-भरी कजलियां
आई लेकर नई-नई खुशियां
फसल हो स्वस्थ-निरोगी
अच्छे बीजों की देती ये गवाहियां
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भारत के अनुभवी किसान
यूँ तो होते नहीं वैज्ञानिक मगर,
प्रकृति की प्रयोगशाला में
खुले आसमान तले
करते रहते वे शोध नित नये
कैसे हो खेतों में भरपूर फसल
बोकर कुछ बीज अलग
उगाते फिर सांकेतिक कजलियां
लेकर आती जो खुशियां
हरी-भरी कजलियां
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नागपंचमी का शुभ मुहूर्त
लेकर आता बुआई की घड़ी
टोकरी में लाते सब खेत की मिट्टी
बिखेर देते उसमें थोड़ा-सा गेहूं
बड़े जतन से उनकी
देखभाल किया करते कृषक
दूध से सींचकर खाद-पानी देकर
प्यार से बड़ी करते कजलियां
लेकर आती जो खुशियां
हरी-भरी कजलियां
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श्रावणी पूर्णिमा तक
उनका बड़ा ध्यान रखा जाता है
राखी का त्योहार मनाकर
अगले दिन हाथ में लिए यह सौगात
घर-घर में इसे बांटा जाता है
बड़ो के पांव छू उनसे आशीष लेकर
कानों में प्रेम खोंसा जाता है
पर्व बन जाती यह कजलियां
लेकर आती जो खुशियां
हरी-भरी कजलियां
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*© ® सुश्री इंदु सिंह*
स्वतंत्र लेखिका
नरसिंहपुर (म.प्र.)