सपना चन्द्रा
कल मेरे हक की बात करता
उसे आज भला क्यूं इंकार है
मेरे लिए जीत की बात करता
उसके रहते भला क्यूं हार है
अभी तो वह सरकार है
सत्तासीन होकर भी वह
कहता बहुत लाचार है
वह करे भी तो कैसे करे
ये उसका ही परिवार है
अभी तो वह सरकार है
आवाज बनने की खातिर
विपक्ष का उसे इंतजार है
सिर्फ उम्मीद रख कर ही
हमें जीना बारंबार है
अभी तो वह सरकार है
लड़ाई खूब लड़ी जा रही है
सदियों से चली आ रही है
जनता के आगे फेंक बोटी
समझता क्या विचार है
अभी तो वह सरकार है
हमेशा की तरह ना तुम बदलोगे,
ना हमारी हालत बदलेगी ।
देखती रह जाएगी जनता
कैसे बदलती दरबार है
अभी तो वह सरकार है.
पक्ष और विपक्ष के बीच
पिसती कुर्सी व्यभिचार है
सारी कमान है जिसके हाथ
कहने को बस सरकार है
अभी तो वह सरकार है ।
✍️
सपना चन्द्रा
कहलगाँव भागलपुर बिहार