डाःमलय तिवारी
है कठिन इश्क़ की राहों से गुजरना यारों।
प्यार को खेल समझ करके न करना यारों।
वैसे तो इसका आगाज खुशनुमा है, बहुत,
पर नहीं ठीक है अन्जाम, सम्हलना यारों।।
शम्में उल्फत में जले दिल न पतिगों की तरह,
हुश्न की गलियों से, बच बचके निकलना यारों।
बुझ नहीं सकती, लगी आग दिल में पानी से,
लहू के कतरे हिफाजत से छिड़कना यारों ।।
ख़िजा के साथ ही रहना, बहार आने तक ,
फूल की तरह ही गुलशन में महकना यारों ।।
"मलय"समेंटकर ग़म सारे ज़माने भर का,
फ़लक पर चाँद सितारों के चमकना यारों।।
डाःमलय तिवारी
बदलापुर जौनपुर (उ, प्र)