हेमलता शर्मा भोली बेन
मां भारती पुकारती, मेरे लाल तू कहां,
प्रचंड गौर भाल पर, लहू का तू तिलक रचा,
देशद्रोही आतताई, ये कचोटते मुझे,
आक्रांता से मुक्त कर, ढाल और खड़ग उठा,
मेरे लाल तू कहां, तू कहां, तू कहां,
मां भारती पुकारती, मेरे लाल तू कहां ?
शस्य-श्यामला हूं मैं, मैं हूं धरती उर्वरा,
नदियां-पर्वत और सागर, गोद में मेरी बसा,
पुकारता है मां का आंचल, फर्ज तू अपना निभा,
मेरे लाल तू कहां तू कहां तू कहां,
मां भारती पुकारती मेरे लाल तू कहां ?
जो दांत गिनते सिहों के, ऐसे वीर हैं यहां,
वंशज है तू राम का, बाण और धनुष उठा,
दुष्टों का तू नाश कर, धर्म की फहरा ध्वजा,
मेरे लाल तू कहां, तू कहां, तू कहां,
मां भारती पुकारती मेरे लाल तू कहां ?
तू वंशज है कृष्ण का, युद्ध का बीड़ा उठा,
गीता ज्ञान याद कर, चक्र तू सतत चला,
मेरा मान आज रख, उंगली पे पर्वत उठा,
मेरे लाल तू कहां, तू कहां, तू कहां,
मां भारती पुकारती, मेरे लाल तू कहां?
स्वरचित
हेमलता शर्मा भोली बेन
इंदौर मध्यप्रदेश