कागज के फूल
फिर से कुछ भूली बिछड़ी यादें गिर आई है l
आँखो मे अनगिनत बरसाते अपने साथ ले आई है l
वो बचपन का तेरा मेरा साथ प्यार भरा एहसास
वो कागज के फूल, वो कागज कि कश्ती,
आँखो मे नूर हर पल होती थी जहाँ हमारी मस्ती
वो तेरा मेरा अल्हड़ पन कभी टाकरती थी हस्ती,
कभी सही नहीं थी इस दिल ने जुदाई तेरी
जवानी कि देहलीज पे कदम रखते ही,
वो बिछोड दो तन का हो गया दो दिल एक जान
हो कर भी जहर ज़िन्दगी का पी लिया l
कभी उम्मीद ना थी उसके मिलन कि
एक आस किए दिल मे कसक सी रह गई l
नियति के आगे देखो किस्मत भी सजदे हजार कर गई l
आज देख कर कागज के फूल रूह भी मेरी सिरहा गई l
अब तक जिस दिल को चट्टान बना रखा था l
तेरी एक आह भी उसे पिघला कर चली गई l
अतीत की आवाज़
बुला बैठी थी जिन यादो को सीने मे
दफ़न कर आई थी जिन पलो को
आज मुझ से ही उन्होंने बगावत कर लिए है l
आज चीख चीख कर अतीत की आवाज़
मेरे कानो मे क्यों जहर सा घोले जा रही है l
मेरे मन मे तेरी यादो की लहरें फिर से
क्यों उफान मचा रही है l
जिनको मैं खुद कही समुन्दर की गहराईयों,
मे कफ़न पहना कर भूल आई थी l
फिर आज क्यों उन गहराईयों से,
अतीत की आवाज मेरे दिल मे बवंडार मचा रही है l
दिल का दर्द अश्कों से बरसात की बूंदो की
तरह धारा बन के बस बहे जा रही है l
क्यों ये अतीत की आवाज़े इस धाराओं से आ रही है l
तेरे दिए हुए जख्मो से दिल ने खाये हुए धोखो से
आज तक मै उभर नहीं पाई हूँ l
लाख कोशिशो के बाद भी इस दिल मे
आ ही गयी मेरे अतीत की आवाज़
जो मुझे गम के साथ साथ हजारों गमो का
एहसास करा ही जाती है ये तेरे अतीत की आवाज़
ये तेरे अतीत की आवाज़ ll
आलिया खान