पेड़ लगाएँ पर्यावरण सुधारें पेड़ बचाएँ जीवन सवाँरें



प्रमिला श्री 'तिवारी'

1.

करते हो अपराध, पेड़  क्यों  काटा करते ।

निज कर्मों का आज,मनुज फल भोगा करते।।

समझो कुछ इंसान,  बड़ा   करते  हैवानी।

देते  वृक्ष   महान,     हमें   ये दाना पानी ।।

2.

मचा है हाहाकार,     प्राणवायु का जैसे ।

काट  रहे  हो पेड़,    बचेगा जीवन कैसे।।

देते पेड़ महान, हवा जल शीतल सबको।

पेड़ो को मत काट,यही कहना है हमको।।

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दोहे --

1.

प्राणवायु का है मचा, कैसा  हाहाकार।

हमको पर्यावरण का, करना चलो सुधार।।

2.

व्याकुल पंछी हो रहे ,करते नीड़ तलाश ।

बहुत तीक्ष्ण अति धूप है,बिन बादल आकाश ।।

3.

सब पेड़ों को काट कर, होता है व्यापार ।

वन प्राणी भयभीत हैं,उन्हें नीड़ दरकार ।।

4.

सभागार शीतल सुलभ,अति उत्तम व्यापार ।

कभी वृक्ष की छाँव तल, होते थे -सुविचार ।।

प्रमिला श्री 'तिवारी'

धनबाद(झारखण्ड)

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