पिता दिवस व गंगा दशहरा की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
गीता पांडे अपराजिता
बाबूजी की त्याग तपस्या ही मेरा सौभाग्य है।
आज नहीं वो रहे जहां बहुत बड़ा दुर्भाग्य है ।
पूरी करते थे हम सब जन की सारी आस थे ।
हिम्मत परिवार की उनसे सदा बने विश्वास थे।
बाहर से सख्त सदा रहते अंदर दया भाव भरते थे ।
संघर्षों की आंधी में होंसले की वो दीवार बनते थे।
परेशानी में घबड़ाये न किए सदा वार पर वार थे ।
सब सपने पूरा करने में इन्हे किये दर किनार थे ।
सदा बने मांऔर हम बच्चों की वही पहचान थे ।
जब तक जिंदा थे बाबूजी मेरीआन बान शान थे।
सभी की ख्वाहिश को पूरा हरदम वे करते थे ।
सारे सामान सदा घर में लाकर खूब भरते थे ।
पूजा पाठ खूब करते सदा धार्मिक बन रहते थे ।
कष्ट किसी का सह न पाते सदा मार्मिक बनते थे।
आज भी मेरे मन में रहते सदा वह आस-पास हैं ।
आस मेरा विश्वास मेरा उनसे ही मेरी हर सांस है।
गीता पांडे अपराजिता
रायबरेली उत्तर प्रदेश