सफलता
शिक्षा है तेरा कल
होगा तू सदा सफल
बाधाओं से तू न डर
तू बस पढ़ता चल।
ये आशीष है मेरे लाल,
दिखा तू कोई कमाल,
कर डाल उसे अब पूरा,
लक्ष्य तू कोई ऐसा पाल।
सफलता को तू ले पहचान
मेहनत को अपना मित्र मान
नही मुश्किल कोई भी कार्य
ऐसा तू मन में लेना ठान।
जो तू चाहता है सब मिलेगा,
आज नही तो कल मिलेगा,
तू बस अपने लक्ष्य को जान,
सफलता का वरदान मिलेगा।
त्याग से मिलती सफलता
बैराग से मिलती सफलता
बस सफलता की ठान,
मेहनत से मिलती सफलता।
संस्कार
यह संस्कारों का कुटुंब है,तू इसके विश्वास बनो
धर्म कर्म की राह चलो,जुग जोड़ी इतिहास बनो
हर रात तुम्हारी दिवाली हो,हर दिन खुशियों की होली
यही स्नेह आशीष तुम्हें हो,अमर माँग की रंगोली
रहो प्रसन्न सदा साथी संग, धर्म कर्म का मान रखो
सुख दुख तो आते रहते है,तुम प्रेम और ईमान रखो
प्रेममयी वीणा के स्वर हैं,तुम जीवन से प्यार करो
सारे जग का यह आशीष,आप सभी स्वीकार करें।।
रोशनाई / स्याही
स्याही न रंगत देखे
न देखे कोई जात
जिसके हाथ आ जाये
लिखे वो दिल की बात
कोरा कागज नीली स्याही
बस इतनी सी ठाठ
जैसा तुम लिखना चाहो
लिख लो दिल की बात
छोटी हो या बड़ी तूलिका
काम एक सा करती
लिखने वाला ही थक जाए
पर वो अनवरत चलती
दिल की बात जो किसी से
कभी बोल नही पाते
कागल में लिख देते हाल
खुद हल्के हो जाते
स्याही फैली , किस्मत बदली
छोड़ तू अब ये दुनियाँ दारी
कोरे कागज पर लिखने की
कर ले तू फिर से तैयारी
स्याही न रंगत देखे
न देखे कोई जात
जिसके हाथ आ जाये
लिख ले वो दिल की बात।।
श्वेता शर्मा
रायपुर छत्तीसगढ़
स्वरचित