गीता पांडे अपराजिता
अक्षय तृतीया का शुभ दिन होता बड़ा महान है!
मां गंगा अवतरित धरा जन्मे भगवान हैं!
बद्रीनाथ कपाट खुले हुआ था महाभारत का अंत!
विष्णु लक्ष्मी पूजन हो भक्ति से ही मिलते हैं संत!
कहता है इतिहास जगत में हुआ एक नर ऐसा!
रंग में कुटिल काल क्रोधी तप मे महासूर्य जैसा!
भृगु वंश में जन्मे रेणुका जमदग्नि की संतान!
फरसा उनका शस्त्र था कर्म से ऊंचा पाए स्थान!
विष्णु के छठे अवतार धर्मावलम्बी किए उद्धार!
भीम ,द्रोण, कर्ण,ऋषि कश्यप आदि पर किए उपकार!
शिव के भक्त परशु प्रसाद पा परशुराम कहलाए!
शस्त्र कौशल से समुद्र पछाड़ शिव ध्वजा फ़हराए!
भाल तिलक ब्रह्मांड शिखा अरू धारण किये जनेउ!
धर्म के सनातन रक्षक दुर शक्तियाँ छुए न केउ!
सतयुग, त्रेता ,द्वापर के भी भगवान ये ही दिखते !
इनकेआशीष से ही सुख सौहार्द अक्षय मिलते!
मानवता बनी दानवता अर्ज है स्वीकार करो!
अपने पावन प्रताप से उनको भी लाचार करो!
हे परशुराम धरती पर अन्यायी संहार करो!
भय नहीं है उसे जरा भी आकर अब प्रहार करो!
विप्र का किसी से बैर नहीं जोड़े फिर से कड़ियां!
जो उलझा खैर नहीं सम्मान की अब गूंथे लड़ियां!
मुख तेज संत शरीर वेद पुराण सभी के ज्ञाता!
मही विकल भये भूप क्रोध अपार जगत विख्याता!
इक्कीस बार क्षत्रियों का पृथ्वी पर संहार किये!
अति ज्ञानी वेदों का विस्तार कर वैदिक धर्म जिये!
कलयुग में प्रभु निरत प्रतीक्षा हरा भरा करो चमन!
आप के पावन चरण में गीता का कोटिशः नमन!!
गीता पांडे अपराजिता
रायबरेली उत्तरप्रदेश