अपनी माँ के लिए चंद लाईने समर्पित करती हूँ
बिम्मी कुँवर सिहं
ओ माँ ओ माँ
कि मेरी सूरत में तेरी ही मूरत,
मेरी तू रचईता हर पल की जरूरत।
ओ माँ
ओ माँ
कि मैं जब रोती हूँ, खबर तुझे हो जाती,
कि मैं जब खिलती हूँ, तू मचल जाती ।
मेरी हर खुशियोँ का ख्याल तुम रखती हो,
सब बच्चों के दुख को झट से सोखती हो।
ओ माँ
ओ माँ
मेरे बचपन से ही तूने सुने कितने ताने,
अडिग ही रही सदा तू मुझकों ही माने।
मुझे लिखने के लिए सदा प्रेरित करती,
सुनाऊ कुछ भी शाबाशी सुरभित करती।
ओ माँ
ओ माँ
छोटी छोटी बातो की मेरी साझेदारी तुम संग,
रचती, कसती, ढालती मुझे अपने तुम रंग ।
सभी के दुख में तू हरदम भगीरथी बन जाती,
अक्सर इसी बात पे तेरी मालिक से ठन जाती ।
ओ माँ
ओ माँ
दुआ मागूं प्रभू से तुम्हारे जीवन की,
बागबान तू बनी रहे अपने उपवन की।
ओ माँ
ओ माँ
बिम्मी कुँवर सिहं
हिन्दी भोजपुरी लेखिका
सिलीगुड़ी