कल सुनना मुझे

      


राकेश चन्द्रा

आदमी की बौनी प्रजातियॉं

की नपुंसक मुस्कानों का गले मिलना

और हथेली में छिपे बघनखों से

इन्सानियत को मुहब्बत से चीरना;


रंग-बिरंगे चमकीले कागज के टुकड़ों

की ज्वाला में जलती सलोनी ललना]

सुदूर अंतरिक्ष में आत्मघाती रणभेरियों

की करूण-क्रन्दन-गर्जना;


आज की टीस का सलीब उठाये

रूपहले कल के उजालों के बीच

मुक्त परिन्दों की तरह मैं चहकूंगा

फिर एक बार-


कल सुनना मुझे ...!!


राकेश चन्द्रा

610/60, केशव नगर कालोनी,

 सीतापुर रोड, लखनऊ उत्तर-प्रदेश-226020,              

दूरभाष नम्बर : 9457353346

rakeshchandra.81@gmail.com

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