जग बहुत सुन्दर है

 

सुखविंद्र सिंह मनसीरत 

गम का गहरा समंदर है,

ये जग बहुत ही सुन्दर है।


रंग बिरंगे रंगों से है रंगा

ये कितना हसीन मंजर है।


दुख सुख से भरा सागर,

समाया सब कुछ अंदर है।


कोई समझ नहीं पाया हैं,

खुदा का बनाया मंदिर है।


दुनिया तो है आनी जानी,

यहाँ चलता आया लंगर है।


खुशियों से भरा खजाना,

मनसीरत मिलते खंजर है।

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सुखविंद्र सिंह मनसीरत 

खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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