हाथ पकड लो है गिरधारी

 

डॉ अलका अरोडा


माना वक्त ले रहा परीक्षा

हिम्मत बची नहीं अब बाकि



जीवन के आयाम बदल गए

हर ओर मचा तबाही का मंजर


एसा खौफ एसी बेबसी

पसर रही चहु दिशा बेलौस

जीवन मृत्यु के सर्घष बीच

कांप रही तन बीच बसी रूह


लाशो के कंपकपाते अंबार

साँसो का बिक रहा बाजार

ओह - एसी वेदना का हाहाकार

घर घर में मची करुण पुकार


बडा भंयकर रूप धारकर

राक्षस लील रहा निराकार

अनगिनत जीवन मिट रहे

प्रतिपल निरन्तर लगातार


मौत के इसी आवरण से

निकल बाहर आई हूँ मैं

भयभीत अभी भी अंतर्रात्मा

ढूढे चैन विचलित डगर पर


वक्त के आगे घुटने टिके है

नतमस्तक हैं प्रभु धाम पे

हाथ पकड़ लो हे गिरधारी

रोक लो विनाश लीला यहीं


बाँधो एक दूजे की हिम्मत

मिलजुल सब कदम बढ़ाओ 

मददगार बनो निर्बल लाचार के लिए

समय की वेदी पर उतरो खरे


मन से बनकर सुदृढ सुडौल

चलो बढे नव भोर की ओर

संयम नियम अपनाकर यहीं

जीवन बचाऐ दानव से सभी


घोर तिमिर से डरना नहीं

होगी भोर सुनिश्चित ही

ये वक्त भी लड़कर गुजर जायेगा

होगी जीत हमारी - है ये यंकी


डॉ अलका अरोडा

प्रोफेसर -देहरादून

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