सशंकित श्रवण
जिंदगी में कभी -कभी
ऐसा दौर भी आता है
दिल का चैन,सुकून,करार
कोई और चुरा ले जाता है !!
मौखिक विष से ज्यादा
कर्ण विष घातक होता है
जीवन का बड़ा सा हिस्सा
श्रवण आधारित होता है
ना जाने कब कौन आकर
शक का बीज बो दे विषम
और उसकी बातों में आकर
होश-ओ हवास खो दें हम!!
अप्रिय बातों को बाहर
फेंक देना हीं उचित है जानिए
जो भी आकर सुनाता है
अति से अति निकृष्ट है जानिए!!
सही श्रवण के वास्ते
सही व्यक्ति चुनना है बेहतर
मही -माखन के वास्ते
दही जमाना है बेहतर !!
मुख मलिन कर क्यों आखिर
चिंता को है बढ़ाना
सुन सशंकित श्रवण क्यों
चितवन में बसाना !!
नैतिकता
ऊंँच नीच में भेद मिटाती है।
जीवन जीने की कला सिखाती है।।
अच्छे बुरे में फर्क सिखाती है।
नैतिकता हमें आत्म अवलोकन की बात सिखाती है।।
आत्मबल,तपोबल,मनोबल नैतिकता से आती है।
आत्म चिंतन,आत्म मनन नैतिकता से आती है।।
सेवा,समर्पण की भावना नैतिकता से आती है।
परोपकार की बातें नैतिकता से आती है।।
बचपन में घर,परिवार,समाज में नैतिकता होती थी।
स्कूल,कालेज,व्यवहार में नैतिकता होती थी।।
राजा,प्रजा,राजनीति में नैतिकता होती थी।
चार वर्ण,चार आश्रम में नैतिकता होती थी।।
नैतिकता आज कौढ़ी मोल बिक रही है।
नैतिकता घर,परिवार,समाज से खो रही है।।
नैतिकता की बातें पुस्तकों तक सिमट रही है।
देश की नैतिक मूल्यों का हरण देख भारत मांँ रो रही है।
दया,क्षमा,प्रेम,सहानुभूति यही तो नैतिकता के बोल है।
जिसके जीवन में ये सब नहीं वह तो मात्र ढोल है।।
बिना नैतिक मूल्यों के जीवन का नहीं कोई मोल है।
जिसके जीवन में नैतिक शिक्षा है वह प्राणी अनमोल है।
डॉ.सारिका ठाकुर “जागृति”
सर्वाधिकार सुरक्षित
ग्वालियर (मध्य प्रदेश)