गोविन्द कुमार गुप्ता
जब व्यथा बहुत बढ़ जाती है ,तव याद तुम्हारी आती है,
श्रद्धा पूरित कर ह्रदय भाव भर आस तुम्ही से लगाती है,
ममता का आँचल खाली हो,
जब बजती न अब ताली हो,
आँखे होती भीगी भीगी,
न होली और दिवाली हो,
वो खुशियों की यादे भी ,
देखो कितना आज सताती है,।
जब व्यथा बहुत बढ़ जाती है,,।।
तब याद तुम्हारी आती है,।।
जीवन है नरक सा दिखता जब, यादे आती तेरी ही तब,
जव संकट दिखता है भारी,
कोई न आसरा दिखता अब,
तब आंख आपकी ओर प्रभु,
बरवस ही उठ ही जाती है,।।
जब व्यथा बहुत बढ़ जाती है,
तब याद तुम्हारी आती है,।।।
घर घर मे मातम छा जाये,
आपदा अचानक आ जाये,
जब चारो ओर अंधेरा हो,
रोशनी कहीं यदि दिख जाये,
तब आस लगाकर प्रभु मेरे,
आत्मा तुम्हे ही बुलाती है,
जब व्यथा बहुत बढ़ जाती है,
तब याद तुम्हारी आती है,।।
अब आकर संकट यह टालो,
अब आंख प्रभु न बन्द करो,
जीवन की रक्षा करने को,
प्रभु आप ये संकट अब हर लो,
कर जोड़ खड़े दर पर तेरे,
अब तुम्हरी याद सताती है,
जब व्यथा बहुत बढ़ जाती है,
तब याद तुम्हारी आती है,।।