मदर्स डे स्पेशल
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
माँ जननी है माँ है पालक,माँ ही मेरा संसार है।
ये जीवन है ऋण माँ का, प्रभु का ये उपहार है।
माँ बच्चे को रखे पेट में, कैसे नौ माह पाला है।
तेरे लिए ही तो माँ ने,जीवन खतरे में डाला है।
हर माँ की गोदी में जब,उसका बच्चा आता है।
कष्ट सहा कितना उसने,कोई जान ना पाता है।
बच्चे को जनने में माँ का, पुनर्जन्म ही होता है।
सारे कष्ट भाग हैं जाते,जब प्रिय बच्चा रोता है।
माँ के छाती का दूध पिये,और चुप हो जाता है।
सीने से लग अपनी माँ के,ये बच्चा सो जाता है।
माँ की ममता एवं छाँव में,धीरे-2 बढ़ता जाता है।
पिता की उंगली पकड़े-2, और बड़ा हो जाता है।
लालन पालन लाड़प्यार में,माँ का कोई मोल नहीं।
मातायें बेमोल सभी हैं,इसके मीठे जैसे बोल नहीं।
ये दिन वहीं का होताहै,जहाँ माँ के लिए वक्त नहीं।
रखें जहाँ वृद्धाश्रम में,वर्षो मिलने का ये वक्त नहीं।
जननी से मिलने हेतु लगा,एक दिन का ये है मेला।
वृद्धाश्रम में बहे उसके आँसू,देखो बहे ये हर बेला।
कुछ हैं ऐसे धनी घमंडी,अनाथालय ले जा डाला।
हाल भी नहीं पूछते हैं, जिसने जना इन्हें है पाला।
दुनिया के हर लोग आज,"मदर्स डे" को मनाते है।
भारत का ये दिवस नहीं,माँ पलकों पर बैठाते हैं।
माँ के बिना हर घर अधूरा,ना परिवार में रौनक है।
माँ साथ रहे घर में तभी,लगे ये स्वर्ग सब रौनक है।
तुमने ही माँ सुखी किया, तेरा ही तो आशीर्वाद है।
तेरी ममता दया से आज,दुनिया ये मेरी आबाद है।
हे ! माँ तुझको नमन हमारा,तेरा शत शत वंदन है।
करना हर गलती माफ़ मेरी,तेरा तो अभिनन्दन है।
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
पूर्व परियोजना प्रबंधक
फ़ेमिली प्लांनिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया,मुम्बई
नोडल अधिकारी
वर्चुअल लर्निंग ऑनलाइन एजुकेशन सर्विसेज
संपर्क : 9415350596