धड़कन

 


साधना कृष्ण

 साँसों का आना जाना ही

कहलाता है जीवन 

जब साँसों के साँस मे  

धड़के कोई

वो होता है धड़कन

अपनी साँसो्ं से कर सिंचीत

माँ बच्चों को देती है जीवन

अपने त्याग , तपस्या के बल

करती उनका जीवन पावन

फिर होती रिमझिम बरसात

बाबुल के घर आँगन

चीख चीख कहती बिटिया

मै ना जाऊँगी घर साजन

कुछ बातें होती रीत की

कुछ बातें होती प्रीत की

कुछ बातें जीवन संगीत की

फिर बातें दुनिया जहान की

छोड़ बाबुल का अँगना

लेती आसरा मन भावन की

सुन्दर सुभग साजन की

अब सोते -जगते 

बस साजन साजन

आँखों के कोर - पोर मे

दिल के धड़कन मे समाया जो

उसे कैसे दुलराऊँ

कैसे रिझाऊँ

नेह स्नेह की धार से

कितना नहलाऊँ

फिर एट दिन आ खड़ा हुआ

पापी पेट का सवाल

कितना बिलख -बिलख रोयी

जब गया दूर साजन

रोटी की फिकर 

बच्चों की पढाई

बहन की शादी

माँ बाप की दवाई

और भी अनगिन जरूरतो ने 

धड़कन को मशीनी धक -धक बना दिया 

छीन लिया सजनी का साजन

अब होती है यादों की गलबहियाँ

और आसपास

 सपनो की दुनिया

हर साँस खोजे 

बस तुझको सजना

मुश्किल है तुझ बिन जीना

आजा रे सजना 

आ जा ।

 साधना कृष्ण

               वैशाली , बिहार

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