ग़ज़ल


मेरे इश्क की दरिया

क्यों, समंदर तक जाती नहीं है ।


ये क्यों किनारों से टकराकर

लौट, मेरे पास आती नहीं है ।


हवाओं का रुख भी

अब उसकी खबर लाती नहीं है ।


उसके दिल को, मेरी यादें

अब तड़पाती नहीं है ।


~ रंजन साव

हावड़ा, पश्चिम बंगाल

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