वादियां देखने को प्रकृति की यहां
मन की खिड़की हमारी खुली चाहिए
फूल पौधे कली जो सुशोभित यहां
उसकी खुशबू दिलों में बसी चाहिए
डूब जाएं सदा उनके भावो में हम
दिल से दिल का हमेशा मिलन चाहिए
इस जहां में भरा प्यार ही प्यार हो
भावना सबके अंदर भरी चाहिए
खूबसूरत सुहाना जो मौसम लगे
ऐसे मौसम में तेरा मिलन चाहिए
जब छलक जाए आंखों से मदिरा यहां
डूबकर भाव में पीना रस चाहिए
खूबसूरत यहां तुझको दिख जाएगा
प्यार से ही भरी एक नजर चाहिए
बैठ कर के शिखर सब सुशोभित रहे
मन में इच्छा सभी की यही चाहिए
ना हो चेहरे की रौनक फीकी कभी
मुस्कुराता सा चेहरा तेरा चाहिए
गिरिराज पांडे
वीरम ऊ
प्रतापगढ़