होशियार

देवकी दर्पण

अश्रु टपकाती माता खून मे नहाती माता, 

दूध की सरिता कहा रक्त की सरिता है। 

ग्रन्थ सारे लुप्त हुये लुप्त हुये आचरण, 

रोती आंसू पोछती कुरान ओर गीता है। 

पुरषो मे राम कहा राम के आदेश कहा, 

छद्मवेश धारी नारियो मे कहा सीता है। 

बेटा होके लाठियो से खुद माँ को मार रहा, 

अब भाई भी भाई का रक्त पीके जीता है।।१।। 


कहा महाराणा कहा राणा की तलवार यहा, 

नाही नारियों मे लक्ष्मी बाई जेसा जोश है। 

गीदड़ो की भाॅति जेसे बिलो मे छुपे है सब, 

यहां कहां नेता जी सुबास चन्द्र बोस है। 

भाई भाई का विवाद खोखला करेगा देश, 

फूट देख पड़ोसी ही बंब जो चलायेगा। 

फिर याद आयेगा कि जेसे आये वेसे चले, 

तुम में से कोई देश भक्त न कहायेगा।।२।। 


अब भी समय है जागो एक बगिया के फूलो, 

किसी दिन तोड़ के मसल दिये जाओगे, 

विदेशों की पेंसन पर मत इठलाओं यारो, 

राम की मर्यादा आप कहा से बचाओगे। 

लोक लाज सीता जेसी साध्वी अनुसुइया जेसी, 

एेसे इस देश को बदनाम करवाओगे। 

आत्म विश्वास देश भक्ति ना जगाओगे तो, 

दुसमनो के आगे अपने घुटने टिकाओगे।।३।।

           🌷देवकी दर्पण🌷✍️

                    काव्य कुंज रोटेदा

                        जि. बून्दी राजस्थान

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