कमलेश मुद्ग्ल आँखों से बरस जाते हैं ये आँसू रोकना चाहूँ तो नही रुकते बरसात की तरह बरस जाते हैं ये आँसू पलकों के पीछे छु पे ह्रदय से उतर जाते हैं ये आँसू गम में भी साथ निभाते खुशी में बरबस बरस जाते हैं ये आँसू जो भी छुपाना चाहूँ जाने ये क्यों आँखों के को रो से निकल चुगली कर जाते हैं ये आँसू है क्या इनकी कोई भाषा बिन बोले बहुत कुछ कह जाते जब निकल जाते आँखों से आँसू