दिनकर से लेकर प्रकाश, आओ आशा दीप जलाएं।
दंभ तोड़ अंधकार का, रश्मियों से धरती सजाएं।।
जीवन में हो आस सदा, रख लो साहस अपने मन में।
ईश्वर पर विश्वास रखो, व्याधि बसी हों चाहे तन में।।
क्षीण तमस से न डर मनुज, प्रभामय आवरण छाएगा।
पतझड़ बाद आये बसंत, उपवन सुरभित हो जाएगा।।
आशा रथ पर हो सवार, मन से सकारात्मक हो जाएं।
दिनकर से लेकर प्रकाश, आओ आशा दीप जलाएं।।
संकट है यह ताकतवर, चाल बहुत इसकी है भारी।
मानव सभी हैं भयभीत, हर ओर बसी है लाचारी।।
आत्मानुशासन से जगत, आशाओं का कल पाएगा।
धीरज हो मानव में तो, अंतर्मन में बल आएगा।।
पूज्य है सनातन संस्कृति, योग, ध्यान, संयम अपनाएं।
दिनकर से लेकर प्रकाश, आओ आशा दीप जलाएं।।
**सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
११६, राजपुर मार्ग,
देहरादून ।
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