नियति

 

पूनम शर्मा स्नेहिल

नियति पल पल जग छले ,

छले जगत संसार ।

करती नहीं है ये कभी ,

किसी पे कोई उपकार।


नियति वश में पड़ मानुष,

 हो जाता है लाचार ।

हो जब इसका कोई प्रहार ,

बहती बस अश्रु धार ।


कर्म किया जो भी जिसने ,

फल देती है हर बार ।

करती सभी ऋण पूरा ,

कुछ रखती नहीं उधार ।


सोच समझकर इस जग में ,

करना कर्म साकार ।

जैसा बीज तू बोलेगा ,

फल खाएगा हर बार ।


नियति पल पल जग छले ,

छले जगत संसार ।

करती नहीं है ये कभी ,

किसी पे कोई उपकार।।


 ©️®️☯️

Popular posts
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
परिणय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं लखीमपुर से कवि गोविंद कुमार गुप्ता
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं इंदौर मध्यप्रदेश से हेमलता शर्मा भोली बेन
Image