सुबह

 


संतोषी दीक्षित कानपुर


रात अंधियारी है ,तो वो भी गुजर जायेगी

साथ उजियारा लेके फिर से सुबह आयेगी,

अपनी आशाओं को तुम, यूं ही बनाये रखना

लक्ष्य को सामने रख कदम बढाये रखना,

ये मत भूलो बहुत रास्ते हैं जीवन में,एक बन्द हो तो भी आस लगाये रखना,तुम्हारी हार भी तब जीत में ढल जायेगी,

रात----

किसी से बैर न तुम द्वेष भावना रखना,

तुम अपने औ परायों में समानता रखना,

सारा संसार एक उपवन है,सभी फूलों को तुम यूं ही खिलाये रखना, फिर तुम देखना कलियां भी मुस्करायेगी,

रात--

किसी उद्देश्य से ईश्वर ने भेजा धरती पर

तुम विश्वास रखना आस्था औ भक्ति पर,बिना फल की आशा से कर्म करना है,साथ अच्छाई ले , बुराइयों से डरना है,साथ तेरे भी सारी सृष्टि चली आयेगी,

रात---

संतोषी दीक्षित कानपुर

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