जय श्री राम
आज बारी श्री राम की
राम भजन गुणगान की
राम मिलन की करना चाह
माँ ,बाप कि सेवा से
बारी जीत के आगाज की
मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम की
बात एक सन्यासी की
सन्यासी सहित अविनाशी की
जय राम रूपी अभिमान की
जय राम के गुणगान की
सतयुग में रावण मारा
अब बारी देशद्रोही की
आज बारी मेरे भगवान की
अयोध्यानरेश श्री राम की
आज बारी श्री राम की
राम भजन गुणगान की
नीला आसमान छूना चाहती है
..... नीर परी
अपने हौसलों के पंख से उड़ान भरना चाहती है ....नीर परी
इस जमाने को अपनी उड़ान दिखाना चाहती है..... नीर परी
अपने आंसुओं का एक मुकाम चाहती है .....नीर परी
चार लोगों की सोच को बदलना चाहती है ....नीर परी
अपनी पीर को छुपा कर उड़ना चाहती है .... नीर परी
लफ्जो की कड़ी टूट सी गई है
लफ्जो की कड़ी टूट सी गई है
भरी महफिल में सांसे छूट सी गई है
जिंदा रहने का ज्जबा भी चन्द दिनों का है
अब लगता है हवा के खातिर
जिंदगी अब बिखर सी गई है
पेड़ को पेड़ ही समझा
कारण यही बस हवा भी बिक रही है
वो 7 जनो की महफिल न जाने कहां खो गई
वृक्षों की छाव भी अब उजड़ सी गई है
भरी महफिल मे सांसे छूट सी गई है
इमारतों की बुनियाद पे अब न हवा मिलती
ये कलयुग का दौर है
यहां जिंदगी बिखर सी गई है
लफ्जो की कड़ी टूट सी गई है
भरी महफिल में सांसे छूट सी गई है
शिवानी टेलर आर्य