एहसास


मुकेश गौतम

सदा किसी का आभास सा रहता है,

कोई दूर होकर भी पास सा रहता है।

मौजूदगी है उसकी हमेशा हीं मुझमें,

ये मैं नहीं मेरा ही एहसास कहता है।।


रूबरू होता हूँ उसके हर एक पल में,

साथ हूँ उसके हर आज और कल में।

हर बात बताना फितरत में है उसके,

हिस्सा हूँ उसकी समस्या के हल में।।


कोई रिश्ता रहा होगा शायद हमारा,

बनें होंगे कभी एक दूजे का सहारा।

कुछ तो वज़ह है मन की क़रीबी में,

वरना कब का ही हो जाता किनारा।।


हर पल निर्मल धारा बनकर बही हैं ,

पूजा बनके मेरे मन-मंदिर में रही हैं।

बाँट लेती थी मेरे गम को वो हमेशा,

मेरी पीड़ा खुद की मानकर सही हैं।।


हर पल-पल का अपडेट अभी भी है,

मुझसे दिन की शुरुआत अभी भी है।

जब भी बंद करें हम आखँ रोज ही,

तो होती जय जय राम अभी भी है।।

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                         रचनाकार

                      -मुकेश गौतम 

                  ग्राम डपटा बूंदी (राज)

                       20:05:2021

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