निवेदिता रॉय
शेर
१.
सारे एहतमाम मुकम्मिल किए
हर रिवाज़ निभाते चले गए
ये कदम ठिठक कर पूछा किए,
क्या दिल की बाज़ी फिर हार गए?
एहतमाम-व्यवस्था
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२.
इस ख़ुशफ़हमी का वो रहे शिकार
हमारी ज़िंदगी के जा़बित हैं सरकार
नाक़स रही फ़रियाद हमारी
जुल्मों की बढ़ गई मियाद तुम्हारी
जा़बित-स्वामी अधिकारी , owner
नाक़स-मूल्यहीन, has no value
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निवेदिता रॉय (बहरीन)