डॉ मधुबाला सिन्हा
"पुरूआ दीठ गडवले बा
मन के आस पिअरवले बा
गवे गवे मन धीर धराइल
दूर गगन ललचवले बा
मनवा अब भयाईल बा
ई समय के सब फेरा बा
धीर धर मन सब सम्भरी
मन ई आस लगवले बा
अब हीं त अधरतिया बा
सुकवा त ललचवले बा
रात के पाछा दिनों लउकी
तनी बिलम मन कहले बा
एक लहर दोसर लहर बीतल बा
अब त तिसरका गोड़ बढवले बा
चले चले के दुनिया से कहलख
पर,संस्कार ना आपन छोडके बा
करीं उतजोग जग जीते के बा
अपना के त अब चीन्हे के बा
मास्क लगाईं आ दूरीयो बढ़ाई
हथवा त बेरे बेर धोअहूँ के बा....
★★★★★★★
डॉ मधुबाला सिन्हा
मोतिहारी,चम्पारण
14 मई 2021