मेरे दोस्त ..

 


मनीषा कुमारी 

कभी अपनी भी गलतियां को मान लेना होता हैं ,

कभी अपनी भी आदतों को सुधार लेना होता हैं ,



कभी मैं झुक जाऊं कभी तू झुक जाना मेरे दोस्त,

एक दूसरे को प्यार से हमेशा मना लेना मेरे दोस्त,


रूठ भी जाऊँ तो तुम कभी मत रूठना मेरे दोस्त ,

तुझे वक्त न दे पाये तो फिर भी क्षमा कर देना दोस्त ,

तुम ही हो जो मेरी सुख-दुख को समझ सकते हो ,

एक तुम ही हो जो हर दुख-दर्द पे मलहम लगाते हो ,


ये दोस्ती हर मोड़ पे न जाने क्यों इतनी इम्तिहान लेती हैं ,

तुझे भी पता है उसके बिना मेरा जीना मुमकिन नहीं है ,

फिर भी तू क्यों हमे उससे दूर रहने को मजबुर करती हैं ,

अब बस भी कर न क्यों बार-बार मुझे कमजोर करती हैं ,


मनीषा कुमारी 

मुंबई

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