प्रेम

सुनीता जौहरी

अंखियों में कान्हा बसें

दूजा न कोई समाए

धागा हो तो टूट भी जाए

पर प्रीत न तोड़ी जाए ।


राधा कहे सखियन से

मैं कृष्ण में, कृष्ण मुझमें समाएं

नहीं राधा कृष्ण के बिना

कृष्ण नहीं राधा बिना ।


बस प्रेम है कान्हामय

और रहा राधामय

राधे कृष्ण गाएं प्रेमगीत

है यही मधुर मधुर प्रेम रीत ।।

_____________________

सुनीता जौहरी

वाराणसी उत्तर प्रदेश

Popular posts
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
परिणय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं लखीमपुर से कवि गोविंद कुमार गुप्ता
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं इंदौर मध्यप्रदेश से हेमलता शर्मा भोली बेन
Image