कवि मनु प्रताप सिंह की रचनाएं



सुनों किसानों का दर्द

सुनों किसानों के दर्द को,सुनों वेदना का जोर।

महाविप्लव में दहलायेगी तुम्हें, मेघ गर्जन घनघोर।


शोषक का रक्त चूसकर,करते राज अंहकार।

अकड़े-कर्णबधिरो सुनों इनके,उमड़ते उद्गार।

उमड़े जनसमूहों से गूँजेगी, करवालों को खनकार।

उठेगा दमन की लाठियों से,विद्रोह का गुबार।


सिंहासन डोलाने किसानों की,दिखेगी रण में आवक।

तुम्हे समूल मिटाने दहकेगी, क्रोध के पावक।

निमित्त विस्फ़ोट सुनाने , किसान बनेंगे देशनायक।

धरतीपुत्रों की हुँकारों से,काँपेगा तख्त अधिनायक।


अरियों के कलुष तुम्हें, ये कृषक ही अध्याय पढ़ायेंगे।

संगठित किसान शोषित वर्ग, विद्रोह के गीत गायेंगे।

बलराम के हलायुध से , शासक चूर-चूर हो जायेंगे।

बचाने खेत की थाती को , वे वीर रणखेत हो जायेंगे।


तुम्हारे विनाश के पश्चात , होगा नव उदित भोर।

महाविप्लव में दहलायेगी तुम्हें, मेघ गर्जन घनघोर।।


राजपूताना


भारत की इस धरा पर,

वीरों की गाथाएँ समाई हुई।

राजपूताने की पवित्र धरती,

वीरों के रक्त से सींची हुई।1।


जब शत्रुओं का हमला हुआ,

कितने वीरों का रक्त बहा हैं।

जब विशुद्धियों का आना हुआ,

तब तक जौहर होता रहा हैं।।


क्षत्राणियाँ जब रणभूमि में आई,

धारा बदली वीर कहानियों की।

ज़रूरत पड़ी इस धरती को ,

वीरांगनाएं राजपूतानियों की।।


वीरों की वीरगाथाएँ,

तेज हवा से बह आई हैं।

जब वीरों का रक्त बहा तो,

धरा से महक एक आई हैं।।


थार के रेगिस्तान से घिरा,

वीर धरा रायथान हैं।

वीरों की जन्मस्थली,,

महान राजस्थान हैं।।


भारत की इस वसुधा पर,

वीरों की गाथाएँ लिखी हुई।

राजपूताने की पवित्र धरती,,

वीरों के रक्त से सींची हुई।2।


मनु प्रताप सिंह

 चींचडौली,खेतड़ी

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