चुपके से



डॉ मंजु सैनी

आज रात चुपके से

   सपने में तुम

      एक कहानी सी

          बन चले आये थे।

 नींद में ही धीरे से

    कुछ सुना सा गए थे

       तुम तो नहीं आते कभी

          तुम्हारी यादें ही सिर्फ।                        

दिल बहला जाती हैं

   खामोशी से भी

       जब  तुम आओ तो

            मुझे आहटें आती है।         

तुम्हारे सांसो से भी

  दिल समझता हैं मेरा

     एक आहट को तेरी

          यादों में बसी हैं मेरी।                     

साथ की यादे बसी

    एक दास्ताँ सुना जाती हैं

         धीरे से मेरे कान में

            कहानी सी कह जाती हैं।

                                      ….. चुपके से….

डॉ मंजु सैनी

गाजियाबाद

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