अपने रंग में रंग दे सांवरे



 गीता पांडे अपराजिता 

अपने रंग ,रंग दे सांवरे निशि दिन प्रतिपल सांझ सवेरे।

नयना तुझको निरख रहे हैं लौट आओ घर साजन मेरे।


प्रेम रंग में रंगी दिशाएं मादकता है आन फैलाती,

आम्र बौर से महका उपवन कोयल भी है तान सुनाती।

सांवरे की एक झलक को तरसूं लिए आस मन फेरे।।

नयना तुझको निरख रहे हैं लौट आओ घर साजन मेरे।


रंग-बिरंगे परिधानों में सजी हैधरती भरी खुमारों में

प्रीत प्यार की बोली छाई हुई है मौसम मस्त बहारों में।

सांवरे की एक झलक को तरसे लिए आस मन फेरे।।

नयना------


 वासंती उल्लास समाहित उर उपवन भी ललचाया है।

बल्लरिया तरुवर पर झूमे देख मधुप मन भर आया है।।

 ऐसे में अब आजा सांवरे विरह सभी तुम हरो घनेरे।

नयना निरख-----–


गीता पांडे अपराजिता 

रायबरेली उत्तर प्रदेश

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
प्रेरक प्रसंग : मानवता का गुण
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image