श्वेता शर्मा
हाँ मैंने देखा है
रेत का बना एक घरौंदा
जो एक हवा के ढह जाता है
और अस्तित्व मिटा जाता है
पानी का रेला
फिर वहाँ कुछ भी नही बचता
रेत और पानी के सिवा
हाँ मैंने देखा है
लोगो को हथेली पर नाम
लिखते और मिटाते हुये
जिन्हें वो चाहते हैं उन्हीं से
उसे छिपाते हुए
हाँ मैंने देखा है
लोगों को मयत पर
ले जाते हुए
रोते बिलखते और चिल्लाते हुए
मगर न जाने कब उठेगा
जनाजा मेरा तमन्ना है
कि लोग रोये कभी मेरे लिए भी
हाँ मैंने देखा है
सब कुछ मैंने देखा है ।