तो मां कहेना तुम !

प्रतिभा दुबे 

गिरकर फिर उठना सिखाए 

हर परिस्थिति में संभलना,

जो तुम्हारी हिम्मत बढ़ाए ,


आत्मविशास भी जगाए 

तो मां कहना तुम।।


कितने ही घने अधेरे हो ,

लाख तुम पर पड़े पहरे हो,

विपरीत परिस्थिति में तुम्हारे लिए,

जो आशाओं के दीप जलाएं !

तो मां कहना तुम।।


संकट की घड़ी में तुम

याद करते हो ईश्वर को,

आंख बंद करके देखना,

जो नाम होटो पर आएं!

तो मां कहना तुम।।


थक हार के जब कभी बैठ जाओगे

ममता का आंचल थामने को जब

झटपटाओगे,बन के ठंडी दुआओं सी 

जो स्वर्ग से भी उतार आएं !

तो मां कहना तुम।।


प्रतिभा दुबे ( स्वतंत्र लेखिका)

ग्वालियर मध्य प्रदेश

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