मन के कोरे कागज पर

 


मधु अरोड़ा

मन के कोरे कागज पर 

भाव‌अनेको आते हैं ।

कुछ कह पाते कुछ रह जाते 

उदगार अनेकों आते हैं ।

प्यार भरा है इस मन में 

जी करता सबको सिक्त करूं।

कभी ममत्व के भाव हैं आते

 ममता से परिपूर्ण करूं।

  मन के कोरे कागज पर 

  भाव अनेको आते हैं ।

  मन में बातें कभी चुभती है

  शब्दों के इन तीरो से ।

  भर‌ नहीं पाते जख्म कभी 

    उन गहरे आघातो से।

   सोचता रहता मन बावरा 

   क्यों कहा क्या था मतलब ?

   क्या गलती थी मेरी क्या?

    उसकी बातों का तीखापन!

     मन के कोरे कागज पर 

     भाव अनेकों आते हैं ।

     परोपकार नहीं भूलता 

     किसी की छोटी बातों का 

     नतमस्तक मन हो जाता।

      उन प्यारे भरे से भावों का ,

     ध्यान हमेशा रखो उनका 

     कभी जिन्होंने मदद करी।

      ना भूलो उस उपकार को 

      जो वक्त पड़ने पर मदद मिली।

       जिनको भी मेरे वचन कटु लगे

        उन सब से क्षमा करा लूं मैं।

         आगे बढ़ो जीवन में बहुत 

         ईश्वर के गुण गा लूं मैं।

          मन के कोरे कागज पर 

          भाव अनेको आते हैं ।

          कुछ कह पाते कुछ रह जाते 

          उदगार अनेकों आते हैं ।।

                        दिल की कलम से

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