मेरा कसूर बताओ तो

 


डॉ मंजु सैनी

किस तरह देखी हम सब ने आज 

नाकामी छुपाती दिख रही सरकार आज

   बार बार वह 20 लाख करोड़ गिनाए आज

    गिनाते रहे सरकार के नुमाइंदे आहत करते आज

         मजदूरों के हिस्से बस दुख ही सारे आये आज

            भूख ओर प्यास तो कहीं मौत भी आई आज


फजीहत बस मिलती रही ओर वो रुके नही

   सूरज कभी भी पश्चिम से निकलता ही नही

      क्या गुमराह, इस कदर ये गुनाह करता नही

        क्या जिन्दगी अब बसर यहां हो सकती नही

         अपने वतन चल वहाँ भूखा कोई मरता नही

            आ चले अपनो बीच वहां अकेलापन नही 


बीमार माँ को गोद लेकर बेटा निकल लिया 

   यहां इतने दिन रह कर भी कुछ नही लिया

      भूखे पेट ही माँ को लिया और चल दिया

         क्या कसूर था सोचता रहा बता तो होता दिया

            चलते चलते भूख से मारा बस चल ही दिया

               बेबस ओर लाचार बस चल दिया

डॉ मंजु सैनी

गाजियाबाद

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