जय जनक लली,जय धरा सुता
जय जय सीता,जय रामप्रिया।
आदर्श आपका जीवन मां,
जय जय हे माता श्री सिया।।
मिथिला में अनावृष्टि से जब,
जन जीवन सब बेहाल हुआ।
धरती सूखी व्याकुल प्राणी,
ऐसा न कभी अकाल हुआ।।
विद्वत जन से मंत्रणा हुई,
सोने का हल बनवाया गया।
उस हल को खेतों में ले जाकर
श्री जनक जी से चलवाया गया।।
टकरायी कोई वस्तु हल से,
तो वहां खुदाई करवायी गई।
एक घड़ा मिला, जिसके भीतर
कन्या मुस्काती,पायी गई।।
हर्षित हुए राजा जनक-प्रजा,
यह भाग्यवान कन्या पाई।
इसके आने से अकाल मिटा,
सुखदायक फिर वर्षा आई।।
वैशाख शुक्ल नवमी यह तिथि,
फलदायक, रहे न कोई रीता।
प्राग्ट्य दिवस जय जनक लली,
जय रामप्रिया,जय मां सीता।।
* डॉ.अनिल शर्मा अनिल
धामपुर,उत्तर प्रदेश