निवेदिता रॉय
रोज़ चलता है ये सिलसिला,
आईना और मेरे बीच शिकवा गिला,
एक दिन दिखाई दिया कनपटी पर एक
सफ़ेद बाल ,
तो हुई मैं भी ज़रा बेहाल !!!!!!!
सोचा रंग डालूँ या छिपा लूँ ,
थोड़ा पीछे जाऊँ ,और
बीती ज़िंदगी फिर जी आऊँ
आईना बोला :
“माफ़ करना मेरी हिमाक़त,
कह दूँ ग़र दें आप इजाज़त,
इस बाल से नहीं होता उम्र का तक़ाज़ा,
ये तो सबूत है कि लिया है आपने ज़िंदगी का भरपूर जायज़ा, “
अभी तो आगे बहुत सी जंग बाक़ी हैं,
भरनी है वो डायरी जो अभी थोड़ी सी ख़ाली है!
निवेदिता रॉय
(बहरीन)