कवियित्री डॉ अलका अरोडा की रचनाएं



नैना बावरे ढूंढे मीत पुराना

नैना बावरे

         ढूंढे मीत पुराना 

पल-पल ढूंढे बीता सावन

          ढूंढे बीती रतिया

 नैना बावरे 

           ढूंढे मीत पुराना

🌹☘️🌹

 जिन बगिया में फूल खिले थे

                  जिनमें बीते सावन 

जिस घर में था संग तुम्हारा

                 ढूंढे वोही आँगना

नैना बावरे

          ढूंढे मीत पुराना

🌹☘️🌹

 आज चली जब मस्त हवाएं

                 सोए अरमाँ जागे

 चुनर मेरी सर से सरकी 

               उलझी लट सुलझाना

 नैना बावरे 

            ढूंढे मीत पुराना

🌹☘️🌹

 उन गलियन की बात अनोखी

                   जिस राह आना-जाना

 बेपरवाह सी अपनी मोहब्बत 

                  ताके सारा जमाना

   नैना बावरे

                   ढूंढे मीत पुराना 


🌹☘️🌹


कौन हूँ मैं?

---------

सहमी सहमी कमजोर नहीं हूं

 भीगी भीगी ओस नहीं हूं 

 आसमान पर उड़ने वाली

चंचल चितवन चकोर नहीं हूँ


कोमल कच्ची डोर नहीं हूं

 अनदेखी से उड़ने वाली 

शबनम सम छोटी बूँदों जैसी

खुशबू भीनी हिलौर नहीं हूं


कुछ जुमलों से डर जाउंगी

 ऐसी भी कमजोर नहीं हूं 

 उड़ती चिड़िया खुले गगन की

 आदि अंत से परे उडूँ मैं 



नीले अंबर से ऊपर के 

सभी सितारे छूकर गिनू मैं

 मुट्ठी में बंद है उड़ान हौसलों की 

स्वप्नों का सत्य जहान हासिल है 



अनचाहे अनसुलझी डगर का 

राज अन्जाना सा मैं ही हूँ

हाँ अन्तर्मन की आवाज मैं ,

 कोई और नहीं ,मैं ही हूँ


डॉ अलका अरोडा

प्रो० देहरादून

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