तुम्हारा साथ चाहिए

  

अनीता मिश्रा "सिद्धि"

हर रूप में हर पल 

हमारे साथ रहते हो 

जीवन के अनुभव 

 पिता बनकर ही कहते हो

मुसीबत के दिनों में 

साथ बनकर भाई रहते हो


ज्ञान और अध्ययन जब चाहा 

तुम मिले गुरु के रूप में

जब आई मुसीबत तब-तब

आये याद मित्र बने

दी है छाया रहकर धूप में


 यौवन के दहलीज पर

साथी के रूप में तुमने

नये सपने संजोय प्रेम के

प्रेमी के रूप में पाया हमने


अनमोल धारा से सिचिंत

हुई मिलन के संयोग

से उतपन्न वात्सल्य मिला

पाया तुम्हें गोद में 

बेटे के रूप में 


हे ! नर हर रूप में हर पल

तुम्हारा साथ चाहिए ,।


अनीता मिश्रा "सिद्धि"

पटना कालिकेत नगर स्वतंत्र

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