एक प्यारा सा रिश्ता

भावना ठाकर 'भावु '

रिश्ते का पौधा प्यार, परवाह और अपनेपन से अंकुरित होता है और संवाद स्नेह और स्मित से नभता है। रिश्तों में एक रिश्ता ननंद-भाभी का बेहद खूबसूरत और नज़दीकी होता है। असल में इस रिश्ते में कभी दरार आनी ही नहीं चाहिए, क्यूँकि भाभी जो होती है वह अपनी बहन और सखी सहेलियों को पीछे छोड़ कर आई होती है। ससुराल में ननंद के रुप में अपनी बहन और सखी को वापस पाती है। और ननंद को अपना मायका माँ भाप और भाई को भाभी के हाथों सौंपकर ससुराल जाना होता है तो जब तक मायके में है तब तक भाभी से रिश्ते अच्छे रखने चाहिए।

हर बात में तुलना, जलन और परायापन रिश्ता बिगाड़ देता है। कई बार ऐसा होता है कि ननंद मायके में एकचक्री साशन से लाड़ में पली बढ़ी होती है, भाभी के आते ही उसे अपना स्थान हिलता हुआ नज़र आता है इसलिए वह भाभी को परेशान करनेका कोई मौका नहीं छोड़ती। माँ पिता को और भाई को भाभी के ख़िलाफ़ भड़काने का काम करती है। और कई बार भाभी को ननंद एक आँख नहीं भाती, उसे लगता है की ननंद की असली जगह उसके ससुराल में है यहां मायके में दखल अंदाज़ी क्यूँ कर रही है ये अब मेरा घर है। वैसे ये सारी बातें बेतुकी और बेमानी है परिवार का मतलब एकता होता है और एकता में ताकत होती है। 

ज़िंदगी से जूझते हर इंसान को दूसरे इंसान कि जरूरत पड़ती है, अगर संबंध अच्छे होंगे तो हर कोई आपके साथ खडा रहेगा। ननंद-भाभी को एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करते प्यार और सद्भाव से रहना चाहिए। अपनी भाभी को सहेली बना लो, हर बात शेयर करो ज़िंदगी खुशहाल बनी रहेगी। कोई किसीका कुछ छीनता नहीं सबका घर में एक खास स्थान होता है। अपना स्वाभिमान और गरिमा बनाएं रखना अपने ही हाथों में है। 

इस रिश्ते को खराब करने में कभी-कभी सास का भी अहम किरदार होता है। बेटी को बहू से मेल मिलाप होने ही नहीं देती बहू जो दूसरे घर से आई है तो हंमेशा पराई ही रहती है। बहू से घर की बातें छिपाना, परिवार का हिस्सा नहीं मानना, और माँ बेटी मिलकर बहू के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचना घर को युद्ध का मैदान बना देते है। माँ को समझना चाहिए कि उनके बाद बेटी को मायके में भाभी के साथ ही रहना है। अगर अपने बाद बेटी के लिए मायके के दरवाज़े खुले रखने है तो खुद भी बहू के साथ बेटी सा बर्ताव करें और अपनी बेटी को भी बहू के साथ तालमेल बढ़ाना सिखाएं।

और बहू का भी फ़र्ज़ बनता है घर की एक जिम्मेदार व्यक्ति बनकर सास-ससुर ननंद देवर को अपना कर घर में एकता का माहौल बनाए रखना चाहिए। 

पर एक बात हर ननंद को समझनी चाहिए कि अगर भाभी से रिश्ते अच्छे होंगे तभी शादी के बाद भी मायके की दहलीज़ पर शान से कदम रख पाओगे बाकी मन ही नहीं करेगा। और एक भाभी का फ़र्ज़ बनता है अपनी ननंद को बहन सा प्यार देकर उसका मायके में एक सम्मानिय स्थान बनाएं रखे तभी घर का माहौल शांति पूर्ण रहेगा।

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

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