रश्मि मिश्रा ' रश्मि'
ये कैसी है हुकूमतें,
ये कैसा काम काज है
लाशों पे खडा हुआ,
ये कैसा तख्तो ताज है!!
कयामतों के दौर में भी
कुर्सियों की होड़ है
ये कैसी राजनीति है
ये कैसी सत्ता दौड़ है!!
समय के रहते आपने
उठाए होते जो कदम
तडप- तडप कर लोगों का
न इस तरह निकलता दम!!
माना कल की भोर में
सुधार लोगे गलतियां
आबाद कैसे होंगी अब
उजड़ गईं जो बस्तियां??
रश्मि मिश्रा ' रश्मि'
भोपाल