आंसू

 


मधु अरोड़ा

विरह हो या प्रेमालाप आंसू की अपनी अलग पहचान ,

मन का बोझ हल्का करते ,प्रेमाधार बन कर बहते।


यह अश्रु कभी बेवजह बह जाते,

 अत्याधिक खुशी या गम में स्वत: छलक आते हैं।


दिल में तड़प होती अपनों की बेवफाई से ,

आंसू मरहम बन गमों को भुला जाते।


जीने की वजह दे जाते, माना के कमजोर हैं हम,

अश्रु आते-जाते ,मन हल्का कर जाते।।


छलकते हैं आंसू आंखों की कोर से ,

दर्द ए दिल बयां कर जाते, धीरे से सब कुछ कह जाते।।

                                   दिल की कलम से

                                   

                                   

Popular posts
सफेद दूब-
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image
जीवन के हर क्षेत्र में खेल महत्वपूर्णः संजय गुलाटी, भेल में अन्तर इकाई बास्केटबाल टूर्नामेंन्ट
Image
साहित्यिक परिचय : बिजेंद्र कुमार तिवारी
Image
मर्यादा पुरुषोत्तम राम  (दोहे)
Image