कहानी
मधु अरोड़ा
एक लड़का सुबह से शाम तक रेलवे स्टेशन पर बैठा भीख मांग रहा था ।कोई उसको दुत्कार देता ,कोई इसके चादर पर एक ₹2 डाल देता इसी तरह शाम हो गई। शाम को उसने देखा कि सिर्फ ₹10 अब ₹10 में तो पेट नहीं भरता बाहर आने जाने वाले से कहने लगा ,अरे बाबूजी कुछ दे दो सुबह से भूखा हूं कुछ नहीं खाया ,कोई बोलता हट्टा कट्टा दो हाथ है तेरे कमा कर क्यों नहीं खाता बस कोई बोल कर चला जाता। फिर वह अगले आने वाले से उसी उमंग से भीख मांगने लगता अभी थोड़ी देर बाद एक आदमी अपनी बच्ची के साथ आया उस लड़के ने उससे भी भीख मांगे पर वह अनसुनी करके आगे चल रही है आगे जाकर उसकी बच्ची के बैग से किताब गिर गई वह लड़का दौड़ा दौड़ा किताब देने के लिए गया वह बोला सर आपकी बेटी के बैग से यह इंग्लिश की किताब गिर गई है मैं आदमी पलट कर बोला तुम्हें कैसे पता इंग्लिश की किताब है क्या तुम पढ़ना जानते हो हां बाबू जी मैं पढ़ा लिखा हूं मैं आदमी बोला फिर तुम भी क्यों मांगते हो बाबूजी एक बहुत लंबी कहानी है मजबूरी से कोई आदमी भीख मांगता है अपनी खुशी से नहीं अभी 2 साल पहले मेरे पिताजी सड़क दुर्घटना में मर गए मां भी बीमार थी। घर का मकान नहीं था तो तो 2 महीने पहले मां की चल बसी। अब मैं अकेला क्या करूं ?क्या ना करूं ?सब तरफ कोशिश करें अंत में बस मजबूरी में भीख मांगने लगा मैं इंग्लिश की किताब पढ़ कर सुनाने लगा उसकी लड़की बोली अरे अंकल आप तो बहुत अच्छी इंग्लिश पढ़ लेते हो बाद में बोला क्या तुम कल से मेरी लड़की को ट्यूशन पढ़ा ओगे यह लो पता और कुछ पैसे उसके हाथ पर रख दिए अगले दिन मनोज तैयार होकर पते पर पहुंचा वहां पर वह साहब बोले आओ मैं कल तुम्हारा नाम तो पूछना ही भूल गया मैं बोला मेरा नाम मनोज है साहब और थोड़ी सी बातें करें बोले मैं अपनी लड़की मीना को बुलाता हूं मीना आ गई मनोज ने उसको मन लगाकर पढ़ना शुरू कर दिया उसने कहा आज मैं तुम्हें मैथ पढ़ाऊंगा मैथ औरइंग्लिश मे मीना थोड़ी कमजोर थी मनोज की मेहनत रंग लाई मीना ध्यान लगाकर पढ़ने लगे थे महीने भर में वह कक्षा में अच्छी लड़कियों में गिने जाने लगे अब वह प्रश्नों के जवाब दे देती एक महीने बाद मीना के पिताजी शंकर जी ने हजार रुपए मनोज के हाथ में दिये यह लो यह तुम्हारी मेहनत की कमाई है मनोज खुश हो गया धीरे-धीरे मीना कक्षा में प्रथम आने लगे अब मनोज के पास धीरे धीरे पढ़ने वालों की संख्या बढ़ने लगी और उसकी आमदनी भी सही होने लगे अब उसको जरूरत की चीजों के लिए परेशान नहीं होना पड़ता था फिर भी वह मेहनत करता रहता था उसने एक कोचिंग सेंटर से दो कोचिंग सेंटर खोल लिया क्योंकि उसके पास अब बच्चे आने लगे थे मनोज ने सोचा जैसी मुझे जिंदगी ने मौका दिया है कि मैं भीख का काम छोड़ कर पढ़ा सकूं तो मेरे जैसे ऐसे बहुत से लोग होंगे जिन्हें में मौका दे सकता हूं उसने एक न्यूज़ पेपर में इश्तहार निकलवा दिया जो कोई भी भिखारी पढ़े लिखे हैं और पढ़ाना चाहते हैं ।वह नीचे दिए पते पर आए, उन्हें काम आज से ही दिया जाएगा यह पढ़कर कुछ भिखारी बहुत खुश हुए और वहां आ गए मनोज ने उन्हें काम पर लगा दिया अब वह भी अच्छी तरह रोजी-रोटी कमाने लगे अब मनोज के पास बड़ा घर सब सुख सुविधाएंआराम के सब साधन हो गए थे अब उसके अच्छे घरों से रिश्ते आने लगे थे उसने एक लड़की देख कर शादी कर ली एक दिन मैं रास्ते से जा रहा था उसने देखा दो छोटे बच्चे भीख मांग रहे हैं उसका दिल रो उठा वह घर बहुत विचलित साया उसकी पत्नी ने पूछा आप क्यों परेशान हो मनोज बोला आज दो छोटे-छोटे बच्चे भीख मांग रहे थे मैं इसलिए परेशान हूं उसकी पत्नी मीता बोली हम उन बच्चों के लिए कुछ कर सकते हैं क्यों ना हम एक रहने के लिए जगह खरीद लें वहां ऐसी अनाथ बच्चे रह भी लेंगे और उन्हें हम शिक्षा भी दे देंगे मनोज का मीता की बात पसंद आईउसने बच्चों के रहने के लिए और पढ़ने के लिए जगह ढूंढें और काम शुरू करवा दिया उसने अपने आप से वायदा किया कि जहां तक हो सकेगा मैं ऐसे लोगों की मदद करूंगा जो पढ़े लिखे हो कर भी मांगते हैं और छोटे बच्चे भीख मांगने की ओर प्रेरित होते हैं मुझसे जहांतक होगा मैं इस बुराई को खत्म करूंगा हां ऐसी संस्थाओं का देश में नाम हैमनोज का खुद से किया हुआ वादा और शंकर की मदद खुद की लगन से आज उसने अपने लिए जीवन में एक नया मुकाम हासिल कर लिया सच है कुछ लोगों को मौका मिल जाता है तो वह जिंदगी संवार लेते हैं।।
यह रचना मौलिक और स्वचित हैं इसका किसी पात्र और घटना से कोई लेना देना नहीं है।।
दिल की कलम से
मधु अरोड़ा