जितेन्द्र 'कबीर'
छुपाती हो जब तुम
अपनी झूठी मुस्कराहट के पीछे
ज़िंदगी के सौ दर्द-ओ-गम,
अपमान के कड़वे घूंट
पी जाती हो हर बार
सिर्फ इसीलिए कि कहीं
बदनामी न हो जाए समाज में,
पहले थप्पड़ को
माफ कर देती हो कभी -कभार का
आवेश समझकर,
माहौल ना खराब हो घर का,
उसकी सारी जिम्मेदारी
ले बैठ जाती हो सिर्फ अपने सर पर,
उसी पल में तुम दे देती हो
पुरुष को यह अधिकार
कि वो तुम्हें डांटता-फटकारता रहे
पूरे जीवन भर के लिए,
जिस दिन तुम हिम्मत कर दोगी
जवाब देने की अपने ऊपर होने वाले
हर उत्पीड़न के खिलाफ,
मेरा यकीन मानों!
दुनिया के किसी पुरुष में हिम्मत नहीं होगी
तुमसे नजरें तक मिलाने की,
अत्याचार करना तो दूर की बात है।
- जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
गांव नगोड़ी डाक घर साच
तहसील व जिला चम्बा
हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314