मुकेश गौतम
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जिसके बिना लगे सब सूना वही सच्चा रिश्ता है,
जिसके होने से सुख हो दूना वही सच्चा रिश्ता है।
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जो खुद से पहले हमकों मानें वही सच्चा रिश्ता है,
जो मन की हर आहट जानें वही सच्चा रिश्ता है।
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जो आँखों के आँसू पहचाने वही सच्चा रिश्ता है,
जो गूढ़ बात को लगें बताने वही सच्चा रिश्ता है।
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जो अपनें दुःख को लगे घटाने वही सच्चा रिश्ता है,
जो मन अपने मन को जानें वही सच्चा रिश्ता है।
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जिन सांसों में एहसास हमारा वही सच्चा रिश्ता है,
जो संकट में नहीं करें अकेला वही सच्चा रिश्ता है।
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जो हरदम अपना बने सहारा वही सच्चा रिश्ता है,
जिसके सामने सब कुछ हारे वही सच्चा रिश्ता है।
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रचनाकार
-मुकेश गौतम
ग्राम डपटा बूंदी(राज)
15:05:2021
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