मृत्यु से

 

सुनीता द्विवेदी

बड़ी दबंग हो 

कोई नियम नहीं मानती 

जहां हो पहुंच जाती हो

सीमाएं नहीं जानती

इस देश उस देश

इस गांव उस गांव

रोकती तुम्हें ना दुख की

धूप न सुख की छांव

ना देखती हो दिन रात

न छोटा बड़ा पहचानती हो

पहुंच जाती हो सबके पास 

सबसे जबरन संबंध ठानती हो 

मृत्यु 

मृत्यु तुम साथ ही जन्मती हो 

जीवन भर साथ ही चलती हो 

आखिर छुड़वा कर दुनिया सारी 

प्राणों के साथ ही निकलती हो 

नींद आ जाए अगरचे मुझे

पर तुम कभी नहीं सोती 

मृत्यु तुम सच्ची महबूबा हो 

कभी बेवफा नहीं होती


🌻 : सुनीता द्विवेदी 🌻

🌻कानपुर उत्तरप्रदेश,🌻

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